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Post Box Number 203 Nala Sopara: पोस्ट बॉक्स नं. 203 नाला सोपारा
by Chitra Mudgalहिन्दी साहित्य जगत में अपनी अप्रतिम जगह बना चुकी वरिष्ठ कथाकार चित्रा मुद्गल का यह उपन्यास विनोद उर्फ बिन्नी उर्फ बिमली के बहाने हमारे समाज में लम्बे समय से चली आ रही उस मानसिकता का विरोध हैजो मनुष्य को मनुष्य समझने से बचती रही है। जी नहींयह अमीरगरीब का पुराना टोटका नहींमहज शारीरिक कमी के चलते किसी इंसान को असामाजिक बना देने की क्रूर विडम्बना है। अपने ही घर से निकाल दिए गए विनोद की मर्मांतक पीड़ा उसके अपनी बा को लिखे पत्रों में इतनी गहराई से उजागर हुई है कि पाठक खुद यह सोचने पर विवश हो जाता है कि क्या शब्द बदल देने भर से अवमानना समाप्त हो सकती है गलियों की गाली हिजड़ाको किन्नरकह देने भर से क्या देह के नासूर छिटक सकते हैं। परिवार के बीच से छिटककर नारकीय जीवन जीने को विवश किए जाने वाले ये बीच के लोगआखिर मनुष्य क्यों नहीं माने जाते। आजजबकि ऐसे असंख्य लोगों को समाज में स्वीकृति मिलने लगी हैहमारी संसद भी इस संदर्भ में पुरातनपंथी नहीं रही हैक्या यह उम्मीद नहीं की जानी चाहिए कि परिवार व समाज अपनी सोच के मकड़जाल से बाहर निकल आएंगेठीक उसी तरह जैसे इस उपन्यास के मुख्य चरित्र की मां वंदना बेन शाह अपने बेटे से घर वापसी की अपील करते हुए एक विस्तृत माफीनामा अखबारों में छपवाती है। यह अपील एक व्यक्ति भर की न रहकरसमूचे समाज की बन जाएयही वस्तुत: कथाकार की मूल मंशा है। एक एक्टिविस्ट रचनाकारकैसे अपनी रचना में मूल सरोकार के प्रति समर्पित हो सकता हैयह इस अनोखे और पठनीय उपन्यास की भाषा बताती है। यहां समाज की हर सतह उघड़ती है और एक नयी रचनात्मक सतह बनने को आतुर है।
Praathamik Vidyaalay Ka Baalak - Ek Adhyayan- 1 NES-101 - IGNOU
by Indira Gandhi Rashtriya Mukta Vishvavidyalayaएन ई एस – 101 प्राथमिक विद्यालय का बालक - एक अध्ययन खंड 1 इस पाठ्यक्रम में प्राथमिक विद्यालय के बच्चो के शारीरिक, स्वास्थ्य, सामाजिक एवं संवेगात्मक पहलुओं से संबंधित आवश्यताओं और समस्याओं को शिक्षक तथा अभिभावक को समझने की आवश्यताओं का विवेचन किया गया है। इसमें शैक्षिक निर्देशन संबंधित अनेक उन किर्याकलापों की चर्चा भी की गई है। जो बच्चो को घर तथा स्कूल में समायोजन के अवसर प्रदान करते है।
Praathamik Vidyaalay Ka Baalak - Ek Adhyayan- 2 NES-101 - IGNOU
by Indira Gandhi Rashtriya Mukta VishvavidyalayaNES- 101 प्राथमिक विद्यालय का बालक – एक अध्ययन खंड 2 बच्चे के विकास के सिद्धान्त एवं कारक पाठ्यक्रम में प्राथमिक विद्यालय के बालक की सामान्य तस्वीर प्रस्तुत करती है तथा विकास के विभिन्न पक्षों, यथा- संज्ञानात्मक, सामाजिक, संवेगात्मक, भाषिक, शारीरिक एवं गतिक विकास पर प्रकाश डालती है। इस खंड में मानव जीवन से सम्बधीत विकास की अवधारणा का भी संक्षिप्त विवेचन किया गया है।
Prabhodhini class 9 - RBSE Board: प्रबोधिनी 9वीं कक्षा - आरबीएसई बोर्ड
by Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmer'प्रबोधिनी' माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान हेतु कक्षा नवमी के हिन्दी विषय हेतु निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुरूप तैयार की गई है। 'हिन्दी भाषा' अपने सामर्थ्य में वृद्धि करते हुए विश्व में सम्पर्क भाषा के रूप मे तीव्रता से प्रसारित हो रही है। ऐसी स्थिति में स्वाभाविक है कि अपने प्रदेश के विद्यालयों के विद्यार्थी हिन्दी भाषा के व्यवहार में विशेष दक्षता अर्जित करें। भाषा के साथ पुस्तक में संकलित विषय-वस्तु के माध्यम से विद्यार्थियों में आत्मबल, त्याग, बलिदान, निःस्वार्थ सेवा, जीव दया के साथ राष्ट्र भक्ति की भावना पुष्ट करने का प्रयास किया गया है ।
Prachin Bharat
by Dvijendranarayan JhaPrachin Bharat: This book is an unmatched description of Ancient India. It gives us a clear view of the systems prevailing in ancient India. The books has descriptions of life and times of Harappan civilisation. vedic civilisation and origin of buddhism has been given equal importance. The description of Mauryas and guptas is unmatched one and the book augurs well for students preparing for civil service exams in India.
Prachin Bharat Ka Itihas
by Romila ThaparA classical book written on the different explanations of Ancient Indian History. The writer takes reference from various authentic sources and presents a well balanced description of the society of the ancient India.
Prachin Bharat Ka Itihas - Delhi University: प्राचीन भारत का इतिहास - दिल्ली यूनिवर्सिटी
by Dwijendranarayan Jha Krishnamohan Shrimaliहिंदी माध्यम कार्यान्वय निदेशालय की ओर से प्रो. द्विजेंद्रनारायण झा एवं प्रो. कृष्णमोहन श्रीमाली द्वारा संपादित पुस्तक प्राचीन भारत का इतिहास का 35वा पुनर्मुद्रण करवाया जा रहा है। इस पुस्तक में इतिहास की भौगोलिक पृष्ठभूमि, स्रोत, प्रागैतिहासिक, पुरातत्त्व, वैदिक साहित्य, ईसा पूर्व शताब्दी में धार्मिक आंदोलन, महाजन पदों के उदय व यूनानी आक्रमण, मौर्यकाल, गुप्तकाल, इत्यादि विषयों पर विस्तारपूर्वक लिखा गया है। इसमें न केवल पाठकों को ऐतिहासिक जानकारी उपलब्ध कराई गई है अपितु उसे उचित सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक परिवेश में भी संजोया गया है। लेखकों का प्रयास रहा है कि प्राचीन भारत के इतिहास का निष्पक्ष विश्लेषण कर सकें। इसके लिए उन्होंने तात्कालीन, सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक प्रणालियों का विश्लेषण तो किया ही है साथ ही उस समय के साहित्य का भी अवलोकन किया है ताकि कल्पना व तथ्य में समन्वय स्थापित किया जा सके ।
Prachin Evam Madhyakalin Bharat Ka Rajnitik Chintan - Delhi Vishvavidyalaya: प्राचीन एवं मध्यकालीन भारत का राजनीतिक चिंतन - दिल्ली विश्वविद्यालय
by Dr Ruchi Tyagiडॉ. रुचि त्यागी द्वारा संपादित 'प्राचीन एवं मध्यकालीन भारतीय राजनीतिक चिंतन: प्रमुख परम्पराएं एवं चिंतक' पुस्तक को इस कड़ी कापहला महत्वपूर्ण प्रयास माना जा सकता है । इसमें नये पाठ्यक्रम के अनुसार 'ब्राह्मणवादी, श्रमणीय, इस्लामी व समन्यवादी परम्पराओं' पर विस्तारपूर्वक विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है । साथ ही, वेदव्यास द्वारा प्रतिपादित राजधर्म, मनु द्वारा प्रतिपादित सामाजिक दण्ड संहिता, कौटिल्य का सप्तांग सिद्धांत, अगन्न सुत्त का राजत्व संबंधी सिद्धांत तथा संत कबीर के समन्वयवाद पर नए अध्याय जोड़ दिए गए हैं ।
Prachin Evam Purva Madhyakalin Bharat Ka Itihas - Competitive Exam
by Upender Singhइस पुस्तक में प्राचीन एवं पूर्व मध्यकालीन भारत का इतिहास में पाषाण काल से 12वी शताब्दी तक के सभी विषय उपस्थिति है।इस पुस्तक में विषय के मूलस्रोतों और शोध कार्यों से प्राप्त इतिहास को स्पष्ट किया गया है, जो विद्यार्थियों के लिए अच्छी जानकारी है। इस पुस्तक के इतिहास में दस अध्यायों में प्राग् ऐतिहासिक काल और आद्य इतिहास से लेकर प्राचीन एवं पूर्व मध्यकालीन इतिहास के समस्त विषय को रखा गया है। इस प्रकार सभी विषय के इतिहास बारे में विस्तार से जानकर विद्यार्थी उनकी आधुनिक समय में सदुपयोग कर एक अच्छे राष्ट्र की नींव रख सकते है।
Pradeshik Niyojan Tatha Vikas - Ranchi University, N.P.U: प्रादेशिक नियोजन तथा विकास - राँची यूनिवर्सिटी, एन.पी.यू.
by Dr R. C. Chandanaप्रादेशिक नियोजन तथा विकास इस पुस्तक में यह प्रयास किया गया है कि भूगोल व प्रादेशिक नियोजन के छात्रों के अतिरिक्त नियोजक, अधिकारीगण व शोधकर्ता सभी को इससे कुछ-न-कुछ प्राप्त हो सके । पुस्तक के अन्त में दी गई पुस्तकों की सूची का मुख्य उद्देश्य यही है कि शोधकर्ता व नियोजकों को उन स्रोतों के बारे में भी जानकारी दी जाये जिनको इस पुस्तक की संकल्पना हेतु प्रयोग किया गया । यह पुस्तक नियोजकों, विकास प्रक्रिया में संलग्न विशेषज्ञों, नीतिकारों, अधिकारियों आदि सभी के लिए एक निर्देशिका का कार्य करेगी । इसी उद्देश्य से इस पुस्तक में प्रादेशिक नियोजन की कार्य-पद्धति व प्रौद्योगिकी पर अधिक ध्यान दिया गया है और उन्हें बहुत ही सरल भाषा में समझाने का प्रयास किया गया है ।
Prakash Manu Ki Chuninda Bal Kahaniyan
by Prakash ManuThis book is a wonderful collection of selected stories of kids told by Prakash Manu. Kids get ready for an exciting and fun reading adventure.
Prarambhik Samashti Arthashastra (Core Course 3) B.A (Hons.) Sem-II -Ranchi University, N.P.U
by J. P. MishraPrarambhik Samashti Arthashastra text book According to the Latest Syllabus based on Choice Based Credit System (CBCS) for Sem-II (Core Economics Course 3) from Ranchi University, Nilambar Pitambar University in hindi.
Prasiddh Jatak Kathayen
by Shyam DuaJataka stories in the world of fiction is regarded as important because of these unique materials stocks.In view of the subject, these stories practical cleverness, imagination Pshupakshi, Recreation, adventure and strategy is linked to interesting description.
Prasiddha Lok Kathayen
by ShankarThe book Famous Folk Stories is written by Shankar. Folklore of children is given in this book. Which is very Inspirational.
Pratham Aur Antim Mukti: प्रथम और अंतिम मुक्ति
by J. Krishnamurtiप्रथम और अंतिम मुक्ति में जे कृष्णमूर्ति की अंतर्दृष्टियों का व्यापक व सारगर्भित परिचय तथा उनमें सहभागिता का चुनौती भरा निमंत्रण प्राप्त होता है। कृष्णमूर्ति की शिक्षाओं के विविध सरोकारों का समावेश इस एक पुस्तक में उपलब्ध है जो अंग्रेजी पुस्तक द फर्स्ट एंड लास्ट फ्रीडम का अनुवाद है। इस पुस्तक का प्रकाशन १९५४ में हुआ था लेकिन आज भी यह पुस्तक कृष्णमूर्ति की सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली पुस्तकों में से एक है। कृष्णमूर्ति की शिक्षाओं के सघन अध्ययन में एक और आयाम जुड़े, इसी अभिप्राय से यह संस्करण प्रस्तुत है।
Prathavi Hamara Avas
by National Council Of Educational Research TrainingThis book prescribed by central board of secondary education, India for the students of class 6th subject Social Science, studying through hindi medium. This accessible version of the book doesn't leave any part of the book. The book is handy companion of the school and university students desiring to read facts in interesting way. NCERT books are must read for aspirants of competitive and job related examinations in India.
Pratibhagi Pustika - Gharelu Data Entry Operator (Divyangjan): प्रतिभागी पुस्तिका - घरेलू डेटा एंटरी ऑपरेटर (दिव्यांगजन)
by Skill Council for Persons with Disabilityइस प्रतिभागी पुस्तिका में दिव्यांगजनों के लिए घरेलू डेटा एंट्री ऑपरेटर की भूमिका और आवश्यक कौशल पर केंद्रित सामग्री दी गई है। इसमें आईटी-आईटीईएस/बीपीएम उद्योग का परिचय, डेटा एंट्री की प्रक्रियाएँ, उपकरण, और सॉफ़्टवेयर आवश्यकताओं के साथ-साथ डेटा सत्यापन, समस्या समाधान, और ग्राहक डेटा प्रबंधन जैसे विषयों को शामिल किया गया है। पाठ्यक्रम संरचना 390 घंटों की प्रशिक्षण अवधि में सिद्धांत (90 घंटे) और प्रायोगिक (300 घंटे) सत्रों को शामिल करती है। यह हैंडबुक डेटा एंट्री ऑपरेटर की जिम्मेदारियों, आवश्यक व्यक्तिगत गुणों और कैरियर विकास मार्गों पर भी चर्चा करती है। साथ ही, रिपोर्ट लेखन, नेटवर्किंग टोपोलॉजी और आधुनिक डेटा एंट्री तकनीकों का वर्णन किया गया है। इस पुस्तक का उद्देश्य प्रतिभागियों को कौशल प्रदान करना है ताकि वे गुणवत्ता मानकों के अनुसार कुशलतापूर्वक कार्य कर सकें।
Pratikraman (Granth): प्रतिक्रमण (ग्रंथ)
by Dada Bhagwanइंसान हर कदम पर कोई ना कोई गलती करता है जिससे दूसरों को बहुत दुःख होता है| जिसे मोक्ष प्राप्त करना है, उसे यह सभी राग-द्वेष के हिसाबो से मुक्त होना होगा| इसका सबसे आसान तरीका है अपने द्वारा किये गए पापों का प्रायश्चित करना या माफ़ी माँगना| ऐसा करने के लिए तीर्थंकरों ने हमें बहुत ही शक्तिशाली हथियार दिया है जिसका नाम है ‘प्रतिक्रमण’| प्रतिक्रमण मतलब, हमारे द्वारा किये गए अतिक्रमण को धो डालना| ज्ञानी पुरुष दादा भगवान ने हमें आलोचना-प्रतिक्रमण-प्रत्याख्यान की चाबी दी है जिससे हम अतिक्रमण से मुक्त हो सकते है| आलोचना का अर्थ होता है- अपनी गलती का स्वीकार करना, प्रतिक्रमण मतलब उस गलती के लिए माफ़ी माँगना और प्रत्याख्यान करने का अर्थ है- दृढ़ निश्चय करना कि ऐसी गलती दोबारा ना हो| इस पुस्तक में हमें हमारे द्वारा किये गए हर प्रकार के अतिक्रमण से कैसे मुक्त हो सके इसका रास्ता मिलता है|
Pratikraman (Sanxipt): प्रतिक्रमण (संक्षिप्त)
by Dada Bhagwanइंसान हर कदम पर कोई ना कोई गलती करता है जिससे दूसरों को बहुत दुःख होता है| जिसे मोक्ष प्राप्त करना है, उसे यह सभी राग-द्वेष के हिसाबो से मुक्त होना होगा| इसका सबसे आसान तरीका है अपने द्वारा किये गए पापों का प्रायश्चित करना या माफ़ी माँगना| ऐसा करने के लिए तीर्थंकरों ने हमें बहुत ही शक्तिशाली हथियार दिया है जिसका नाम है ‘प्रतिक्रमण’|प्रतिक्रमण मतलब, हमारे द्वारा किये गए अतिक्रमण को धो डालना| ज्ञानी पुरुष दादा भगवान ने हमें आलोचना-प्रतिक्रमण-प्रत्याख्यान की चाबी दी है जिससे हम अतिक्रमण से मुक्त हो सकते है| आलोचना का अर्थ होता है- अपनी गलती का स्वीकार करना, प्रतिक्रमण मतलब उस गलती के लिए माफ़ी माँगना और प्रत्याख्यान करने का अर्थ है- दृढ़ निश्चय करना कि ऐसी गलती दोबारा ना हो| इस पुस्तक में हमें हमारे द्वारा किये गए हर प्रकार के अतिक्रमण से कैसे मुक्त हो सके इसका रास्ता मिलता है|
Pratinidhi Kahaniyan-Akhilesh
by Akhileshअखिलेश की कहानियाँ बातूनी कहानियाँ हैं . .गजब का बतरस है उनमें । वे अपने पाठकों से जमकर बातें करती हैं अपने सबसे प्यारे दोस्त की तरह गलबहियाँ लेकर वे आपको आगे और. आगे ले जाती हैं और उनमें उस तरहकी सभी बातें होती हैं जो दो दोस्तों के बीच घट सकती हैं । (कोई चाहे तो इसे कहानीपन भी कह सकता है ।) यही वजह है कि बेहद गम्भीर विषयों पर लिखते हुए भी अखिलेश की कहानियाँ . जबर्दस्ती की गम्भीरता कभी नहीं झड़ती हैं । पढ़ते हुए कई बार एक मुस्कान-सी ओठों पर आने को ही होती है । क्योंकि उनके यहाँ कोई बौद्धिक आतंक, सूचना का कोई घटाटोप या किसी और तरह का बेमतलब का जंजाल चक्कर नहीं काटता कि पाठक कहीं' और ही फँसकर रह जाए. । इन कहानियों की एक और खूबी येह भी है कि ये कहानियाँ पाठक से ही नहीं बात करती चलती बल्कि खुद उनके भीतर भी कई तरह के समानान्तर संवाद चलते रहते हैं 1 वे खुद भी अपने चरित्रों से बतियाते चलते हैं, उनके भीतर चल रही उठा- पटक को .अपने अखिलेशियन अन्दाज में' सामने लाते हुए । क्या है ये अखिलेशियन अन्दाज ! उसकी पहली पहचान यह है कि वह बिना मतलब गम्भीरता का ढोंग नहीं करते बल्कि उनकी कहानियाँ अपने पाठकों को भी थोपी हुई गम्भीरता से दूर ले जानेवाली कहानियाँ हैं. । उनकी कहानियों का गद्य मासूमियत वाले अर्थों में हँसमुख ? नहीं है बल्कि चुहल- भरा, शरारती पर साथ ही बेधनेवाला गद्य है ।
Pratinidhi Kahaniyan-Amarkant
by अमरकांतअमरकांत की कहानियों में मध्यवर्ग, विशेषकर निम्न-मध्यवर्ग के जीवनानुभवों और जिजीविषाओं का बेहद प्रभावशाली और अन्तरंग चित्रण मिलता है ! अक्सर सपाट-से नजर आनेवाले कथ्यों में भी वे अपने जिवंत मानवीय संस्पर्श के कारण अनोखी आभा पैदा कर देते हैं ! सहज-सरल रूपबंधवाली ये कहानियां जिंदगी की जटिलताओं को जिस तरह समेटे रहती हैं, कभी-कभी उससे चकित रह जाना पड़ता है ! लेकिन यह अमरकांत की ख़ास शैली है ! अमरकांत के व्यक्तित्व की तरह उनकी भाषा में भी एक ख़ास किस्म की फक्कड़ता है ! लोक-जीवन के मुहावरों और देशज शब्दों के प्रयोग से उनकी भाषा में माटी का सहज स्पर्श तथा ऐसी सोंधी गंध रच-बस जाती है जो पाठकों को किसी छदम उदात्तता से परे, बहुत ही निजी लोक में, ले जाती है ! उनमे छिपे हुए व्यंग्य से सामान्य स्थितियाँ भी बेहद अर्थव्यंजक हो उठती हैं ! अमरकांत के विभिन्न कहानी-संग्रहों में चरित्रों का विशाल फलक ‘जिन्दगी और जोंक’से लेकर ‘मित्र मिलन’ तक फैला हुआ है ! उन्ही संग्रहों की लगभग सब चर्चित कहानियां एक जगह एकत्र होने के कारण इस संकलन की उपादेयता निश्चित रूप से काफी बढ़ गई है !
Pratinidhi Kahaniyan-Geetanjali Shree
by गीतांजलि श्रीयह गीतांजलि श्री की कहानियों का प्रतिनिधि संचयन है। गीतांजलि की लगभग हर कहानी अपनी टोन की कहानी है और विचलन उनके यहाँ गभग नहीं के बराबर है और यह बात अपने आपमें आश्चर्यजनक है क्योंकि बड़े-से-बड़े लेखक कई बार बाहरी दबावों और वक़्ती ज़रूरतों के चलते अपनी मूल टोन से विचिलत हुए हैं। यह अच्छी बात है कि गीतांजलि श्री ने अपनी लगभग हर कहानी में अपनी सिग्नेचर ट्यून को बरकरार रखा है। लेकिन सवाल यह है कि गीतांजलि कीकहानियों की यह मूल टोन आखिर है क्या? एक अजीब तरह का फक्कड़पन, एक अजीब तरह की दार्शनिकता, एक अजीब तरह की भाषा और एक अजीब तरह की रवानी। लेकिन ये सारी अजीबियतें ही उनके कथाकार को एक व्यक्तित्व प्रदान करती हैं। यहाँ यह कहना ज़रूरी है कि यह सब परम्परा से हटकर है और परम्परा में समाहित भी।
Pratinidhi Kahaniyan-Hrishikesh Sulabh
by Hrishikesh Sulabh''अपनी कहानियों पर बात करना मेरे लिए कठिन काम है। बहुत हद तक अप्रिय भी। लिखी जा चुकी और प्रकाशित हो चुकी कहानियों से अक्सरहाँ मैं पीछा छुड़ाकर भाग निकलता हूँ, पर मुझे लगता है कि यह मेरा भ्रम ही है। मेरी कहानियों के कुछ पात्र लगातार मेरा पीछा करते हैं और अपनी छवि बदलकर, किसी लिखी जा रही नई कहानी में घुसने की बार-बार कोशिशें करते हैं। कई बार तो घुस भी आते हैं और मैं उन्हें न रोक पाने की अपनी विवशता पर हाथ मलते रह जाता हूँ। जैसे, 'वधस्थल से छलाँगÓ का रामप्रकाश तिवारी, जो 'यह गम विरले बूझे' या 'काबर झील का पाखी' जैसी कहानियों में घुस आया। मैंने अपनी कहानियों में प्रवेश के लिए किसी एक रास्ते का चुनाव नहीं किया। हर कहानी में प्रवेश के लिए मेरी राह बदल जाती है। कभी किसी पात्र की बाँह पकड़कर प्रवेश करता हूँ, तो कभी कोई घटना या व्यवहार या स्मृति या विचार कहानी के भीतर पैठने के लिए मेरी राहों की निर्मिति करते हैं। हमेशा एक अनिश्चय और अनिर्णय की स्थिति बनी रहती है। हर बार नई कहानी शुरू करने से पहले मेरा मन थरथर काँपता है। शायद यही कारण है कि बहुत कम कहानियाँ लिख सका हूँ। मेरे कुछ मित्रों का मानना है कि कहानी और नाटक लिखने के बीच आवाजाही के कारण मेरी कहानियों पर आलोचकों की नज़र नहीं पड़ी। पर यह सच है कि नाटक और कहानी के बीच मेरी यह आवाजाही मुझे बहुत प्रिय है। हर बार नौसिखुए की तरह अथ से आरम्भ करना मुझे पुनर्नवा करता है। मैं यह करते रहना चाहता हूँ।'' —भूमिका से
Pratinidhi Kahaniyan-Jogendra Paul
by Jogendra Paulपहली बार मैं जब जोगेंद्र पाल से मिला तो वो ठीक अपनी शक्ल, किरदार और आदतों के एतवार से एक मालदार जौहरी नजर आया | बाद में मुझे मालूम हुआ कि मेरा कयास ज्यादा गलत भी न था | वो जौहरी तो जरूर है, लेकिन हीरे-जवाहरात का नहीं; अफसानों का - और मालदार भी लेकिन अपनी कला में | - कृष्ण चंदर | एक परिचय : धरती का काल उर्दू कथा-साहित्य में जोगेंद्र पाल अपने रचनात्मक अनुभव के लिए नए-नए महाद्वीप खोजनेवाले कथाकार हैं-चंद उन कथाकारों में से एक जिन्होंने अपनी आँखे बाहर की और खोल राखी हैं और जो अपने दिल के रोने की आवाज पर भी कान धरते हैं...| - डॉ. अनवर सदीद औरक | लाहौर जोगेंद्र पाल के यहाँ कहानी बयान नहीं होती, बल्कि सामने जिंदगी के स्टेज पर घटित होती है | उनके चरित्र उस स्टेज से निकलकर हमारे हवास के इतने करीब आ जाते हैं कि हमें अपने वजूद में उनकी साँसों का उतार-चढाव महसूस होता है...| - डॉ. कमर रईस | जोगेंद्र अपल : फेन और शख्सियत जोगेंद्र पाल ने मुर्दा लफ्जों को नई जिंदगी अता करने की तख्लीकी (रचनात्मक) कोशिश की है ; उनमें आदम बू पैदा की है | उनकी रचनातमक भाषा जानने की जुबान नहीं, जीने की जुबान है | - निजाम सिद्दीकी
Pratinidhi Kahaniyan-Mithileshwar
by Mithileshwarजाने-माने कथाकार मिथिलेश्वर हिन्दी कथा-साहित्य में एक अलग महत्त्व रखते हैं । प्रेमचंद और रेणु के बाद हिन्दी कहानी से जिस गाँव को निष्कासित कर दिया गया था, अपनी कहानियों में मिथिलेश्वर ने उसी की प्रतिष्ठा की है । दूसरे शब्दों में, वे ग्रामीण यथार्थ के महत्त्वपूर्ण कथाकार हैं और उन्होंने आज की कहानी को संघर्षशील जीवन-दृष्टि तथा रचनात्मक सहजता के साथ पुन: सामाजिक बनाने का कार्य किया है । इस संग्रह में शामिल उनकी प्राय: सभी कहानियाँ बहुचर्चित रही हैं । ये सभी कहानियाँ वर्तमान ग्रामीण जीवन के विभिन्न अन्तर्विरोधों को उद्घाटित करती हैं, जिससे पता चलता है कि आजादी के बाद ग्रामीण यथार्थ किस हद तक भयावह और जटिल हुआ है । बदलने के नाम पर गरीब के शोषण के तरीके बदले हैं और विकास के नाम पर उनमें शहर और उसकी बहुविध विकृतियां पहुँची हैं । निस्सन्देह इन कहानियों में लेखक ने जिन जीवन-स्थितियों और पात्रों का चित्रण किया है, वे हमारी जानकारी में कुछ बुनियादी इजाफा करते हैं और उनकी निराडंबर भाषा-शैली इन कहानियों को और अधिक सार्थक बनाती हैं ।