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Mahanayak: महानायक
by Vishwas Patilयह उपन्यास एक 'महान कलाकृति' है मात्र इतना कह देने से इसका उचित मूल्यांकन नहीं होता! मै निःसंदेह रूप से कहना चाहता हूँ कि इस शताब्दी की यह सर्वश्रेष्ठ है - वसंत कानेटकर सुभाषचंद्र बोस के जीवन और कर्म पर केन्द्रित 'महानायक' एक श्रेष्ठ भारतीय उपन्यास है! इसमें विश्वास पाटिल ने भारत के एक ऐसे श्रेष्ठ व्यक्तित्व को नायक के रूप में चुना है जो किसी भी महाकाव्य का महानायक बन सकता है सुभाषचन्द्र बाबु उन महामनवों में से एक थे जिन्हें तीव्र बुद्धि, भावनाओं ऊर्जा, प्रखर चिंतनक्षमता जन्म से प्राप्त थी और अपनी पराधीन भारतमाता को स्वतंत्र करने के भव्य स्वप्न से जिनके व्यक्तित्व का अणु-अणु उत्तेजित रहता था! उन्होंने पश्चिमी ज्ञान और विधा को आत्मसात किया था, साथ ही भारत की उर्जस्वनी अध्यात्मिक परम्परा जो रामकृष्ण परमहंस और विवेकानंद से छनकर आयी थी, उनके व्यक्तित्व एवं क्रतित्व का मूल स्त्रोत थी! सुभाष का ऐसा व्यक्तित्व था जिसकी जबरदस्त कशिश ने हिटलर से लेकर जापान के प्रधानमंत्री तोजो तक को प्रभावित किया था और जिसके भय ने चर्चिल जैसे नेताओं की नींद हराम कर दी थी!
Mahanta Ka Margdarshak: महानता का मार्गदर्शक
by Robin Sharmaमहानता का मार्गदर्शक एक बहुत शक्तिशाली और बहुत ही व्यावहारिक पुस्तक है, जो आपको अपने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में विश्व स्तर तक पहुंचने के लिए प्रेरित करती है। यह ग्रह पर शीर्ष सफल गुरुओं में से एक रॉबिन शर्मा द्वारा लिखी गई द गाइड टू ग्रेटनेस की एक सिद्ध प्रति है और जिनके विचारों को सेलिब्रिटी सीईओ, प्रमुख उद्यमियों, रॉक स्टार और रॉयल्टी के साथ-साथ कई फॉर्च्यून 500 कंपनियों द्वारा सराहा गया है। इससे आपको अपनी उच्चतम क्षमता तक पहुँचने और असाधारण बनने में मदद मिलेगी।
Mai Aur Mera Vyaakaran Uttar Pustika - 7
by New Saraswati House India Pvt. Ltd.हिन्दी व्याकरण उत्तर-पुस्तिका
Mai Aur Mera Vyaakaran Uttar Pustika - 8
by New Saraswati House India Pvt. Ltd.हिन्दी व्याकरण उत्तर-पुस्तिका
Mai Bhee...
by V. Suteyevइस पुस्तक में एक चित्रकथा है जिसमें एक चूजा और एक बत्तख के बच्चे की कहानी है। चूजा बत्तख की तरह बनने की कोशिश करता है। लेखक ने इस कथा को चित्रों के माध्यम से प्रस्तुत किया है। In this book is a comic story in which a chick and a child duck. chick tries to be like child Duck. The author presented this story through images.
Mai Dilli Hu
by Ramavtar TyagiThe history of Delhi is presented in the form of poetry. The book tries to put both the story and poem together. The history of Delhi has been put in the chronological way.
Mai Kaun Hu: मैं कौन हूँ?
by Dada Bhagwanकेवल जीवन जी लेना ही जीवन नहीं है। जीवन जीने का कोई ध्येय, कोई लक्ष्य भी तो होगा। जीवन में कोई ऊँचा लक्ष्य प्राप्त करने का ध्येय होना चाहिए। जीवन का असली लक्ष्य ‘मैं कौन हूँ’, इस सवाल का जवाब प्राप्त करना है। पिछले अनंत जन्मों का यह अनुत्तरित प्रश्न है। ज्ञानीपुरुष परम पूज्य दादाश्री ने मूल प्रश्न “मैं कौन हूँ?” का सहजता से हल बता दिया है। मैं कौन हूँ? मैं कौन नहीं हूँ? खुद कौन है? मेरा क्या है? मेरा क्या नहीं है? बंधन क्या है? मोक्ष क्या है? क्या इस जगत् में भगवान हैं? इस जगत् का ‘कर्ता’ कौन है? भगवान ‘कर्ता’ हैं या नहीं? भगवन का सच्चा स्वरूप क्या है? ‘कर्ता’ का सच्चा स्वरूप क्या है? जगत् कौन चलाता है? माया का स्वरूप क्या है? जो हम देखते और जानते हैं, वह भ्रांति है या सत्य है? क्या व्यावहारिक ज्ञान आपको मुक्त कर सकता है? इस संकलन में दादाश्री ने इन सभी प्रश्नों के सटीक उत्तर दिए हैं।
Mai to Billi Hoon!
by RinchinThis book is about a girl Tinti who wants to be a cat and all times says that she is a cat. प्रस्तुत पुस्तक में एक लड़की टिंटी के बारे में बताया गया है जो बिल्ली बनना चाहती है और हर समय यही कहती है कि वह बिल्ली है।
Maila Aanchal: मैला आँचल
by Phanishwar Nath Renuयह है मैला आँचल, एक आंचलिक उपन्यास। कथानक है पूर्णिया। पूर्णिया बिहार राज्य का एक जिला है; इसके एक ओर है नेपाल, दूसरी ओर पाकिस्तान और पश्चिम बंगाल। विभिन्न सीमा-रेखाओं से इसकी बनावट मुकम्मल हो जाती है, जब हम दक्खिन में सन्थाल परगना और पच्छिम में मिथिला की सीमा रेखाएँ खींच देते हैं। मैंने इसके एक हिस्से के एक ही गाँव को- पिछड़े गाँवों का प्रतीक मानकर इस उपन्यास-कथा का क्षेत्रा बनाया है। इसमें फूल भी हैं शूल भी, धूल भी है, गुलाब भी, कीचड़ भी है, चन्दन भी, सुन्दरता भी है, कुरूपता भी - मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। कथा की सारी अच्छाइयों और बुराइयों के साथ साहित्य की दहलीज पर आ खड़ा हुआ हूँ; पता नहीं अच्छा किया या बुरा। जो भी हो, अपनी निष्ठा में कमी महसूस नहीं करता।
Main Begunah Hoon: मैं बेगुनाह हूँ
by Surender Mohan Pathak"मैं बेगुनाह हूँ" सुरेंद्र मोहन पाठक द्वारा लिखित एक रोमांचक हिंदी उपन्यास है, जो पत्रकार सुनील कुमार चक्रवर्ती के इर्द-गिर्द घूमता है। कहानी एक रहस्यमयी फोन कॉल से शुरू होती है, जिसमें सुनील को बताया जाता है कि एक फिल्म अभिनेता और नवोदित राजनीतिज्ञ सत्येंद्र पराशर का संबंध कैबरे डांसर नताशा पुरी से है। नताशा का राजनगर के अंडरवर्ल्ड के कुख्यात मुरारी से भी कनेक्शन होता है, जो सोहनलाल जोशी नामक एक गैंगस्टर का करीबी है। जैसे-जैसे सुनील इन किरदारों के संबंधों की गहराई में उतरता है, वह पाता है कि यह मामला व्यक्तिगत प्रतिशोध और राजनीतिक षड्यंत्र से भरा हुआ है। सत्येंद्र पराशर के अभियान और चीफ एग्जीक्यूटिव काउंसलर किशोरीलाल की सत्ता की जंग के बीच सुनील कई खतरे उठाकर सच उजागर करने में जुटा रहता है।
Main hi Kyun: मैं ही क्यूँ
by Dr Krishna Shrivastava'मैं ही क्यों' में विभिन्न भावनात्मक कहानियों का समावेश है, जिसमें मन की विविध भावनाओं को स्वर दिया गया है। परिस्थितियों के वश कितनी मजबूर होती है स्त्री, मन की गहन गुफाओं में कितने सपने पलते हैं, अधूरे रह जाते टूट जाते हैं? स्त्री टूटती है परिस्थितियों से, दुगनी ऊर्जावान हो खड़ी होती है अपनी पूरी जिजीविषा के साथ। 'मैं ही क्यों', 'वारिस' जैसी कहानियों का कथ्य है, तो खर्रा पुरुष विमर्श पर आधारित है। युवाओं के गुस्से, उनकी मजबूरी पर आधारित कथाएँ हैं तथा करोना काल की स्थितियों पर रणबांकुरे दस्तकें जैसी भावनात्मक कहानियों का समावेश है। इस समय ने मानव की मजबूरियों और उसकी जिजीविषा को परखा है। यह सिद्ध किया है परिस्थिति कितनी भी भयावह क्यों न हो मानव की जिजीविषा सर्वोपरि है विभिन्न स्थितियों, सामाजिक ऐतिहासिक कहानियों का मेल है यह संग्रह।
Main Maseeha Nahin: मैं मसीहा नहीं
by Sonu Sood Meena K. Iyerकभी-कभार ब्रह्मांड का कोई छोटा सा संकेत इंसान को उसके जीवन का उद्देश्य ढूँढ़ने में मदद कर देता है। अगर अभिनेता सोनू सूद एक मशहूर हस्ती के रूप में अपने शानो-शौकत से भरे जीवन को तवज्जो देते रहते और सिर्फ रिमोट कंट्रोल से अपनी उदारता दर्शाते, तो वह कभी भी भारत के प्रवासी मजदूरों के दर्द से रूबरू नहीं होते या कभी यह नहीं समझ पाते कि भोजन का महज़ एक पैकेट कभी भी किसी मजदूर को घर भेजे जाने के इंतज़ाम का विकल्प नहीं हो सकता। कोविड-19 महामारी के समय राष्ट्रव्यापी लॉकडॉन के दौरान जब गरीब मजदूरों के झुंड का झुंड अपने सुदूर गाँवों की तरफ रवाना हुआ, तो उनके माता-पिता का सिखाया हुआ सेवा का संस्कार सोनू सूद के अंदर जाग उठा और वे तुरंत हरकत में आ गए। उन्होंने सामने आकर मोर्चा संभाला और दुखी-पीड़ित लोगों के पास पहुँचे। उन्होंने समर्पित लोगों की टीम बनाई और देश और विदेश से भी लोगों को उनके घर लौटाने का इंतज़ाम किया। ऐसा करके उन्होंने हज़ारों असहाय और ज़रूरतमंद श्रमिकों की मदद की। इस तरह एक मानवतावादी मिशन के तौर पर उनका घर “भेजो अभियान” शुरू हुआ। इसके लिए उन्होंने चार्टर्ड फ्लाइट, बसों और ट्रेनों को सेनिटाइज़ करवाया और उसका ख़र्च वहन किया। दुनिया भर के लोगों से आ रही दुख भरी फोन कॉल्स को सुनने और जवाब देने का उन्होंने इंतज़ाम करवाया। जल्द ही वह अभियान नौकरी दिलवाने, चिकित्सा सुविधा मुहैया करवाने और श्रमिकों को शैक्षणिक सहायता मुहैया करवाने में तब्दील हो गया। फिल्मी पर्दे का वह खलनायक वास्तविक जीवन में लोगों के सामने एक कद्दावर नायक की तरह प्रकट हुआ। अपने संस्मरण मैं मसीहा नहीं (आई एम नो मसीहा का हिंदी अनुवाद) में सोनू सूद मोगा से मुंबई तक की अपनी असाधारण यात्रा अनुभवों को वरिष्ठ पत्रकार और लेखिका मीना के. अय्यर के शानदार लेखकीय कौशल के साथ प्रस्तुत कर रहे हैं। यह ईमानदार, प्रेरक और दिल को छूने वाली कहानी सोनू सूद की है और उन लोगों की है जिनके जीवन को वह लगातार परिवर्तित करने के अभियान में जुटे हुए हैं।
Main Mrityu Sikhata Hun: मैं मृत्यु सिखाता हूं
by Oshoओशो कहते हैं – ‘मैं मृत्यु सिखाता हूं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मैं जीवन का विरोधी हूं।’ उनके लिए जीवन और मृत्यु के भय से त्रस्त लोगों ने भाग-भागकर जीवन के पलड़े में घुसना और उसी में सवार हो जाना अपना लक्ष्य बना लिया। नतीजा यह हुआ कि जीवन का पल फिर निसर्ग को उस संतुलन को ठीक करने के लिए आगे आना होता है इससे आपको मृत्यु और अधिक भयकारी लगने लगती है। मृत्यु रहस्यमय हो जाती है। मृत्यु के इसी रहस्य को यदि मनुष्य समझ ले तो जीवन सफल हो जाए। जीवन के मोह से चिपटना कम हो जाए तो अपराध कम हों। मृत्यु से बचने के लिए मनुष्य ने क्या-क्या अपराध किए है। इसे अगर जान लिया जाए तो जीवन और मृत्यु का पलड़ा बराबर लगने लगे। इसलिए जब ओशो कहते हैं कि ‘मैं मृत्यु सिखाता हूं’ तो लगता है जीवन का सच्चा दर्शन तो इस व्यक्ति ने पकड़ रखा है, उसी के नजदीक, उसी के विचारों के करीब आपको यह पुस्तक ले जाती है। जीवन को सहज, आनंद, मुक्ति और स्वच्छंदता के साथ जीना है तो इसके लिए आपको मृत्यु को जानकर उसके रहस्य को समझकर ही चलना होगा। मृत्यु को जानना ही जीवन का मर्म पाना है। मृत्यु के घर से होकर ही आप सदैव जीवित रहते हैं। उसका आलिंगन जीवन का चरम लक्ष्य बना लेने पर मृत्यु हार जाती है। इसी दृष्टि हार जाती है। इसी दृष्टि से ओशो की यह पुस्तक अर्थवान है।
Main Samay Hoon: मैं समय हूँ
by Deep Trivedi‘मैं समय हूँ’ यह पुस्तक बेस्टसेलर्स ‘मैं मन हूँ’, ‘मैं कृष्ण हूँ’ और ‘101 सदाबहार कहानियां’ के लेखक तथा स्पीरिच्युअल सायको-डाइनैमिक्स के पायनियर दीप त्रिवेदी ने लिखी है। मनुष्यजीवन को गहराई से समझने और समझाने वाले दीप त्रिवेदी ने विश्व की अंतिम और निर्णायक सत्ता समय के रहस्यों का अपनी किताब ‘मैं समय हूँ’ में रहस्योद्घाटन किया है। इस किताब में दीप त्रिवेदी ने घड़ी की सूइयों से परे समय के कई स्वरूपों का खुलासा किया है। यही नहीं, उन्होंने न सिर्फ इन सभी स्वरूपों की विस्तार से चर्चा की है, बल्कि उनके प्रभावों को भी समझाया है। इस किताब की सबसे विशेष बात यह कि लेखक ने इसमें इतनी सरल भाषा का उपयोग किया है जिससे कि एक सामान्य मनुष्य भी समय जैसी महासत्ता की पूरी कार्यप्रणाली आसानी से समझ सके। इस किताब में यह स्पष्ट होता है कि एक समय ही है जिस कारण न सिर्फ मनुष्य बल्कि यह पूरा ब्रह्मांड भी चलायमान है तथा मनुष्य के जीवन में घटने वाली तमाम ऊंच-नीच भी समय के ही अधीन है। अतः चाहे मनुष्यजीवन सरल बनाना हो या फिर ब्रह्मांड के गहरे रहस्य समझने हों, समय के गहरे स्वरूपों को समझे बिना इनमें से कुछ भी शक्य नहीं है। इसीलिए इस बात पर विशेष ध्यान देते हुए लेखक ने मनुष्यों को उनका बिगड़ा समय संवारने के कई सरल उपाय भी दिये हैं। यह बात तय है कि जो भी समय की ताल-से-ताल मिला लेगा, एक सुखी और सफल जीवन गुजारना उसका भाग्य हो जाएगा।
Maine Gandhi Ko Kyon Mara?: मैंने गांधी को क्यों मारा?
by Nathuram Godseव्यक्तिगत स्तर पर मेरे और गांधीजी के बीच कोई शत्रुता नहीं थी। वे लोग, जो पाकिस्तान-निर्माण में गांधीजी का अच्छा मकसद होने की बात कहते हैं, मुझे उनसे केवल इतना कहना है कि मैंने गांधी के विरुद्ध, जो इतना बड़ा कदम उठाया, उसमें मेरे हृदय में राष्ट्रहित का शुद्ध हेतु था। वे ऐसे व्यक्ति थे, जो बहुत सी भयावह घटनाओं के लिए जिम्मेदार थे, जिनकी परिणति पाकिस्तान निर्मिति में हुई। गांधीजी के विरुद्ध की गई अपनी काररवाई के बाद मैं भविष्य में आने वाले अपने परिणाम को देख सकता था, उन परिणामों की उम्मीद कर सकता था और मुझे एहसास था कि जिस क्षण लोगों को गांधी को मेरे द्वारा गोली मारने की घटना का पता चलेगा, उन सभी का मेरे प्रति दृष्टिकोण बदल जाएगा, फिर चाहे परिस्थितियाँ कोई भी हों। समाज में लोगों का मेरे प्रति जो सम्मान, रुतबा और सहानुभूति है, वह समाह्रश्वत हो जाएगी, नष्ट हो जाएगी और बचा हुआ मान भी कुचल दिया जाएगा। मुझे पूरा एहसास था कि समाज में मुझे सबसे नीच और घृणित व्यक्ति के रूप में देखा जाएगा। अपने समय के सबसे बड़े नेता गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे ने अपना पक्ष प्रस्तुत करते हुए विशेष न्यायालय में बहुत विस्तृत बयान दिया, जिसमें उन्होंने क्रमवार वे कारण बताए, जिन्होंने उन्हें इतनी बड़ी घटना की परिणति करने के लिए बाध्य किया। ये कारण तत्कालीन सामाजिक-सांस्कृतिक-राजनीतिक परिस्थितियों को भी दर्शाते हैं कि कैसे एक अल्पसंख्यक वर्ग विशेष के दबाव में निर्णय लिये जा रहे थे, जो अंतत: बहुसंख्यकों के उत्पीडऩ और अस्तित्व का कारण बन जाते। इन्हीं से क्षुब्ध होकर नाथूराम गोडसे ने विश्व के सबसे चर्चित कांड को अंजाम दिया। प्रस्तुत पुस्तक गांधी-हत्याकांड में नाथूराम गोडसे का पक्ष प्रबलता से रखती है।
Majhi Janmathep FYBA First Semester - RTMNU: माझी जन्मठेप बी.ए. प्रथम सेमिस्टर - राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपूर विद्यापीठ
by Vinayak Damodar Savarkarमाझी जन्मठेप हे आत्मचरित्र स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर यांनी अंदमानात काळ्यापाण्याची शिक्षा भोगत असताना आलेल्या अनुभवांवर लिहिलेले आत्मचरित्रपर पुस्तक आहे. तसेच या आत्मचरित्र्याचे प्रकाशन लाखे प्रकाशन यांनी केले आहे. भारतीय स्वातंत्र्यलढ्यातील योद्धे वीर सावरकर यांना दोन जन्मठेपेची म्हणजे पन्नास वर्षांची शिक्षा झाल्यावर त्यांची रवानगी अंदमानला केली गेली. तेथले त्यांचे जीवन म्हणजे मृत्यूशी झुंज होती पण त्या झुंजीत मृत्यूचा पराभव झाला आणि सावकरांचा जय झाला. सावरकरांच्या वीर रसाने ओथंबलेल्या चरित्रामध्ये अनेक रोमहर्षक पर्वे आहेत. त्यापैकी अंदमान पर्व हे अत्यंत रौद्र आणि भयानक पर्व आहे. त्याची रोमांचकारी कथा 'माझी जन्मठेप' या आत्मकथेत सावरकरांनी सांगितली आहे.
Makhanlal Chaturvedi
by Shrikant JoshiMakhanlal Chaturvedi has written in all forms of literature. He has made the art of life an immortalized one. He has given new dimension to the expression and a sense of dedication to the literature. Srikant Joshi brings brings out the colours of life of Chaturvedi.
Malala Hoon Mein
by Suman BajpayeeMalala Hoon Main details the incidents that took place during Malala's crusade for human rights. Malala Yousafzai was fighting for the right to education for herself and for other girls Malala Hoon Main was written by Suman Bajpayee and was published in paperback format by Rajpal in 2014.
Malgudi Ka Chalta Purza: मालगुडी का चलता पुर्ज़ा
by R. K. Narayanइस चुलबुले और रोचक उपन्यास में एक बार फिर लेखक आर.के. नारायण ने अपने प्रिय स्थान ‘मालगुडी’ को पृष्ठभूमि में रखा है। मार्गैय्या अपने आप को एक बहुत बड़ा वित्तीय सलाहकार समझता है लेकिन वास्तव में वह एक चलता पुर्ज़ा के अलावा कुछ नहीं जो औरों को सलाह मशवरा देकर, अनपढ़ किसानों को यह समझाकर कि कैसे वे बैंक से ऋण ले सकते हैं और तरह-तरह के छोटे-मोटे फार्म बेचकर अपनी अच्छी खासी आमदनी कर लेता है। उसका ‘दफ़्तर’ है मालगुडी का बरगद का पेड़, जिसके नीचे वह अपनी कलम, स्याही की दवात और टीन का बक्सा लेकर बैठता है और शायद आपको आज भी बैठा मिलेगा… आर.के. नारायण शायद अंग्रेज़ी के ऐसे पहले भारतीय लेखक हैं जिनके लेखन ने न केवल भारतीय बल्कि विदेशी पाठकों में भी अपनी जगह बनाई। उन्होंने अपने उपन्यासों और कहानियों के लिए न केवल रोचक विषयों को चुना, बल्कि उन्हें अपने चुटीले संवादों से इतना चटपटा भी बना दिया कि जिसने भी उन्हें एक बार पढ़ा उसमें नारायण की रचनाओं को पढ़ने की चाहत और बढ़ गई।
Malgudi Ka Mithai Wala: मालगुडी का मिठाई वाला
by R. K. Narayanसाठ साल की उम्र में जगन आज भी अपने-आपको पूरी तरह जवान रखता है और कड़ी मेहनत से अपनी मिठाई की दुकान चलाता है, जिससे वह अच्छा-खासा मुनाफा भी कमा लेता है। आराम से चल रही जगन की जि़ंदगी में उथल-पुथल आ जाती है, जब उसका बेटा माली अमरीका से अपनी नवविवाहिता कोरियन पत्नी के साथ मालगुडी आता है और यहां से शुरू होता है दो पीढि़यों के विचारों के बीच टकराव। भरपूर कोशिश करने के बाद भी जगन अपने पारम्परिक ख्यालों को नहीं बदल पाता और काम-धन्धे को छोड़कर धार्मिक कार्यों और यात्राओं की तरफ अपना मन लगाने की सोचता है और तभी यह खबर आती है कि उसका बेटा पुलिस की हिरासत में है और उसने अपनी पत्नी को भी छोड़ दिया है। इस स्थिति से जगन कैसे निकलता है, पढि़ये इस रोचक उपन्यास में जो आर. के. नारायण के अपने अनूठे ढंग में लिखा गया है।
Malhar class 6 - NCERT: मल्हार ६वीं कक्षा - एनसीईआरटी
by Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishadपुस्तक "मल्हार" कक्षा 6 के विद्यार्थियों के लिए हिंदी की पाठ्यपुस्तक है, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत विद्यार्थियों के समग्र विकास पर केंद्रित है। इसमें भाषा की सृजनात्मकता, तार्किक चिंतन, और सांस्कृतिक चेतना को बढ़ावा देने वाले विषयों को सम्मिलित किया गया है। पुस्तक का उद्देश्य विद्यार्थियों में रचनात्मकता, स्वतंत्र चिंतन, और सामाजिक मूल्यों का विकास करना है। इसमें साहित्य, इतिहास, कला, और समाज से जुड़े विविध विषयों पर आधारित पाठ दिए गए हैं। "मल्हार" में गतिविधियाँ और अभ्यास विद्यार्थियों को संवाद और लेखन कौशल को मजबूत करने में मदद करते हैं। यह पाठ्यपुस्तक विद्यार्थियों को उनके जीवन और अनुभवों से जोड़ने का प्रयास करती है, जिससे उनकी भाषाई और सृजनात्मक क्षमता का विकास हो सके।
Manav Bhugol Ke Mul Siddhant class 12 - NCERT: मानव भूगोल के मूल सिद्धांत कक्षा 12वीं कक्षा - एनसीईआरटी
by Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishadमानव भूगोल के मूल सिद्धांत कक्षा 12 वीं का पुस्तक हिंदी भाषा में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् ने प्रकाशित किया गया है । इस पाठ्यपुस्तक का मूल उद्देश्य है राष्ट्रीय पाठ्यचर्चा की रूपरेखा 2005 के नए मार्गदर्शक सिद्धांतों को क्रियान्वित करना । पाठ्यपुस्तक मे मानव भूगोल प्रकृति एवं विषय क्षेत्र, विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि, जनसंख्या संघटन, मानव विकास, प्राथमिक क्रियाएँ, द्वितीयक क्रियाएँ, तृतीयक और चतुर्थ क्रियाकलाप, परिवहन एवं संचार, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और मानव बस्ती आदि के बारें में बताया गया है।